या रसूल अल्लाह या हवीव अल्लाह
रखी रह जाएगी ये सारी कमाई एक दिन
छीन लेगी मौत आकर पाई पाई एक दिन
रोने लगते हैं ये कह कर हिजर के मारे हुए
जान ले लेगी हमारी ये जुदाई एक दिन
या रसूल अल्लाह या हवीव अल्लाह
बुला लो या रसूल अल्लाह बुला लो या हवीव अल्लाह
आपने जिसको बुलाया वो बहुत ही शाद है
आप महबूब ए खु़दा है आपसे फरियाद है
बुला लो या रसूल अल्लाह बुला लो या हवीव अल्लाह
या रसूल अल्लाह के नारे से हमको प्यार है
हमने ये नारा लगाया अपना बेड़ा पार है
बुला लो या रसूल अल्लाह बुला लो या हवीव अल्लाह
दिल बहुत बेचैन है आंखों में आने के लिए
सर बड़ा बेताब है सजदे लूटाने के लिए
सर पर चढ़कर इश्क ये कहता है मुझ से बार-बार
चल मदीने में उन्हें नाते सुनाने के लिए
या रसूल अल्लाह या हवीव अल्लाह
सारे आलम के गरीबों पर बड़ा एहसान है
आपके दर का भिखारी वक्त का सुल्तान है
मेरी आंखों का बरसने का सबब है बस यही
जिस्म है मेरा यहां और वहां पर जान है
ना’त-ख़्वां
मोहम्मद अली फैज़ी
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