आपने कलिमा पढ़ लिया था। जब अबूजहल को पता चला। तो उसने आकर पूछा, क्या तुमने कलिमा पढ़ लिया है ? तो आप ने फरमाया हाँ। आप बड़ी उम्र की थीं, मुशक्कतें उठा नहीं सकती थीं मगर अबूजहल ने एक दिन अपने दोस्तों को बुलाया और उनके सामने उन्हें मारना शुरू कर दिया लेकिन आप बरदाश्त करती रहीं क्योंकि वो तो अल्लाह के नाम पर बड़ी से बड़ी तकलीफ बरदाश्त करने के लिए तैयार थीं।
जब अबु जहल ने देखा के मारने के बावजूद उनकी ज़बान से कुछ नहीं निकला तो उसने आपके सर पर कोई चीज़ मारी जिससे आपकी आँखों की बिनाई चली गई और आप अंधी हो गयीं। अब उन्होंने मज़ाक करना शुरू कर दिया। कहने लगे देखा हमारे बुतों की पूजा छोड़ चुकी थी इसलिए हमारे बुतों ने तुम्हें अंधा कर दिया।
आप बोहोत मार बरदाश्त कर चुकी थीं,
मुशक्कतें उठा चुकी थीं। ये सब सज़ाए बरदाश्त करना आसान थीं। मगर जब उन्होंने ये बात कही तो आप बरदाश्त न कर सकीं चुनाँचे फौरन तड़प उठीं। उसी वक्त कमरे में जाकर सज्दे में गिर गयीं और अपने महबूबे हकीकी से राज़ व नियाज़ की बातें करने लग गयीं। अर्ज़ किया ऐ अल्लाह
उन्होंने मुझे सज़ाए दीं तो मैंने बरदाश्त किया और मेरी हड्डियाँ भी तोड़ देते, वो मेरे जिस्म को छलनी कर देते तो मैं ये सब कुछ बरदाश कर लेती मगर तेरी शान में गुस्ताखी की कोई बात बरदाश्त नहीं कर सकती।
वो तो यूँ कहते हैं कि हमारे माबूदों ने तुम्हारी रोशनी छीन ली ऐ अल्लाह! जब मैं कुछ नहीं थी तो तूने मुझे बना दिया, रोशनी भी अता कर दी, अब तूने ही रोशनी वापस ले ली। ऐ अल्लाह तू मुझे दोबारा रोशनी अता फरमा दे ताकि इन पर तेरी अज़मत खुल जाए।
अभी दुआ वाले हाथ चेहरे पर नहीं फेरे थे कि अल्लाह रब्बुलइज़्ज़त ने आपकी रोशनी लौटा दी ?सुब्हानअल्लाह! इस वक़्त मर्द तो मर्द औरतों में भी मुहब्बते इलाही का जज्बा भरा हुआ था।
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