कब्र की पहली रात में मुर्दे के साथ क्या होता है आइये इसके बारे में बढ़ते है के रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम का क्या इरशाद है
एक रिवायत है जिसका खुलासा यह है के रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया के बेशक जब तक बंदा ए मोमिन दुनिया से इंतकाल और आखिरत का सफर करने को होता है तो उसके पास फरिश्ते नुजूल फरमाते हैं जिनके चेहरे हसीनों जमील और सूरज की तरह चमकते हुए होते हैं उनके पास जन्नती कफन और जन्नत की खुशबू होती है
यह फरिश्ते इस (qabar ka azab) कदर होते हैं के जहां तक उसकी नजर पहुंचे फरिश्ते बैठे हुए नजर आते हैं और उसे घेरे रहते हैं और हजरत मलाकुल मौत तशरीफ लाते हैं और उसके पास जाकर बैठ जाते हैं और फरमाते हैं ए पाकीजा रूहू अल्लाह की मगफिरत और खुशदुदी की तरफ निकल कर चल फिर उसकी रूह इस तरह सहुलत और आसानी से निकल आती है
जैसे मस्किजे में से पानी का कतरा बहता हुआ बाहर आ जाता है बस इसे हजरत मलाकुल मौत ले लेते हैं और दूसरे फरिश्ते जो वहां दूर तक बैठे रहते हैं पल भर भी उनका साथ नहीं छोड़ते और उसे लेकर उसे जन्नति कफन और खुशबू मैं रखकर आसमान की तरफ चल देते हैं इस खुशबू के मुतालिक हुजूर सल्लल्लाहों अलेही वसल्लम का इरशाद है
के जमीन पर जो भी उम्दा से उम्दा खुशबू पाई गई है वैसी ही खुशबू होती है फिर फरमाया के उस रूह को लेकर फरिश्ते आसमान की तरह जाने लगते हैं और फरिश्तों की जिस जमात में भी उनका गुर्जर होता है तो वह कहते है वाह क्या अच्छी खुशबू हैं यह फरिश्ते मैयत का नाम ताजिम और तकरीम से लेकर उसका तार्रुफ़ कराते हैं
यहां तक के वो एहले आसमान तक पहुंच जाते हैं और आसमान का दरवाजा खुलवाते है फिर दरवाजा खोल दिया जाता है और फिर वह इस तरह दरवाजे से ऊपर चले जाते हैं फिर वह सातवें आसमान तक पहुंच जाते हैं हर आसमान के फरिश्ते उसे दूसरे आसमान तक रुखसत करते हैं और जब सातवें आसमान तक पहुंच जाते हैं तो फिर अल्लाह का हुक्म होता है
के मेरे बंदे का (qabar ki pehli raat) नाम इल्लीइन मैं लिख दो और अब जमीन पर ही उसे लौटा रहा हूं और जमीन ही से कयामत के दिन उसे दोबारा जिंदा करूंगा इसके बाद यह रूह जमीन पर वापस आ जाती है और फिर मैयत के जिस्म में दाखिल कर दी जाती है इसके बाद दो फरिश्ते कब्र में उसे बिठाकर उससे सवाल करते हैं
के तेरा रब कौन है तेरा दिन क्या है मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम कौन थे फिर वह उनके सही सही जवाब देता है तो फिर फरिश्ते कहते हैं बेशक तू सही कहता है इसके बाद अल्लाह की तरफ से निजा आती है के मेरे बंदे के लिए जन्नत का फर्स बिछा दो उसको जन्नत का लिबास पहना दो और उसके लिए जन्नत का दरवाजा खोल दो जन्नत का दरवाजा खुलते ही रूह परवर हवा और खुशबू आने लगती है
और कब्र (qabar ki pehli raat hadees) को बहुत कुसादा कर दिया जाता है और उसके बाद मैयत के नेक आमाल हसीन और खूबसूरत लोगो की शक्ल में आते हैं और मैयत को रफाकत का वादा करते हैं और खुशी की बशारत देते हैं
एक काफिर की मौत के बाद क्या होता है
मेरे दोस्तों इसी रिवायत में यह भी है के काफिर की मौत के बाद सीआह चेहरों वाले फरिश्ते आसमान से आकर उसके आसपास बैठ जाते हैं और उसको ता हद्दे नजर दिखाई देते हैं इसके बाद मलाकुल मौत मैयत के पास में बैठकर कहते हैं के ए खब्बीस रूहू अल्लाह ताला की नाराजगी और गजब की तरफ निकलकर चल यह सुनते ही रूह ख़ोफ़ो हिरास से सारे बदन में दौड़ने लगती है
फिर तरह तरह की सख़्ती से उसकी रूह जबरजस्ती उसके जिस्म से निकाल ली जाती है और वह फरिश्ते उसकी रूह को टाट में लपेट लेती है उस वक्त इस रूह में मुर्दे की सड़ी हुई बदबू आने लगती है फरिश्ते उसको लेकर आसमान की तरफ परवास करते हैं और वह आसमान का दरवाजा खुलवाना चाहते हैं मगर आसमान का दरवाजा नहीं खुलता हुक्म होता है
के इसका नाम काफिरो में लिख दो इसके बाद यह रूह जमीन पर फेक दी जाती है और जिस्म में दाखिल करके फरिश्ते सवाल करते हैं के तेरा रब कौन है वह जवाब देता है के मुझे मालूम नहीं फिर फरिश्ते पूछते हैं तेरा दिन क्या है वह लाइल्मी जाहिर करता है फिर हुजूर सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के मुतालिक सवाल किया जाता है तो फिर वह यही जवाब देता है के मुझे मालूम नहीं
उस वक्त खुदा की तरफ से निदा आती है के मेरे बंदे ने जो कुछ कहा बिल्कुल झूठ कहा इसके नीचे आग का बिस्तर बिछा दो और दोजख का एक दरवाजा खोल दो दरवाजा खुलते ही दोज़ख की गर्मी और आग के शोले लपकने शुरू हो जाते हैं फिर उसको कब्र इतनी जोर से दबोचती है के इधर की पसलियां उधर और उधर की पसलियां इधर हो जाती है
फिर उसकी बद अमाली ऐसी सूरत में आती है के उसके जिस्म से बदबू आती है और उसको आजाब और मुसीबत की खबर सुनाते हैं हुजूरे पुरनूर रहमतुललिल आलमीन सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम का इरशाद है के जब मय्यत को कब्र में रख दिया जाता है तो कब्र उसे कहती है के ए बदबख्त खराब हाल इंसान तू मुगालते और धोखे में रहा मुझ पर शान से अकड़ कर और तनकर चलता था
तुझको (qabar ki pehli raat in hindi) यह मालूम नहीं था के मैं इम्तिहान और आजमाइश का घर हूं तनहाई और हैबत का मकाम हूं जहां सिर्फ कीड़ों की बोहतात है तूने मेरी परवाह नहीं की अगर मरने वाला नेके होता है तो उसकी तरफ से कोई जवाब देने वाला आता है और कहता है के ए कब्र तू देखती नहीं के यह अच्छी बातों का हुकुम करता था और लोगों को बुरी बातों से रोकता था
तो फिर कब्र ये सुनकर कहती है अच्छा यह अगर ऐसा था तो इसके लिए मैं गुलजार बन जाती हूं और उसका जिस्म नूर का बन जाएगा और रूह खुदा के पास चली जाएगी और अगर कभी मुर्दे से कब्र इस तरह कहती है के मैं तारीखि और तन्हाई का घर हूं अगर तू दुनिया में अल्लाह ताला की इताअत और फरमाबरदारी में रहा है तो मैं आज तेरे लिए रहमत हूं
और अगर तूने अल्लाह ताला की नाफरमानी और सरकसी की होगी तो मैं तेरे लिए अजाबे जान बनूंगी मैं वह हूं जो मुझ में खुदा का नेक बंदा बंन कर आएगा वह यहां से खुश होकर निकलेगा और जो गुनाहगार और नाफरमान होगा वह तबाह और बर्बाद हो जाएगा और बाज दफा कब्र कहती है के ए खानाखराब क्या तुझे किसी ने मुझसे डराया नहीं था
और तुझे यह ख़ोफ़ दिलाया नहीं था के मैं तंग और तारीख और बदबूदार खौफनाक कीड़ों का मरकज हूं और तूने दुनिया में रहकर मेरे लिए क्या सामान मुहैया कराया है और जब कोई शख्स कब्र में दफन किया जाता है और उस पर आजाब और तकलीफ का नोजुल होता है तो उसके आसपास के मुर्दे जो मतफुन होते हैं वह उसे कहते हैं के ए शेख तू किस कदर गाफिल रहा
के हमारे बाद भी तुझे दुनिया में रहने का मौका मिला और तू हमसे बाद में आया है फिर भी तूने अपने से पहले आने वालों से इबरत हासिल नहीं की और तूने ना समझा के मरने वाले तो मर चुके और उनके आमाल भी पूरे हो चुके चाहे अच्छे आमाल थे या बुरे मगर तेरे लिए तो बेहतरीन मौके थे के तू दारुल आमाल यानी दुनिया में था
और बुरे आफ़ाल का तदारुक नेक कामों से कर लेता तुझे तो काफी मोहलत मिली हुई थी तू उन लोगों पर गौर करता जो कि तुझसे पहले लोगों के कंधों पर लद कर मिट्टी में मिला दिए गए तुझे किसने धोखा दिया और तू किस मुगालते और फरेब में पढ़ा रहा हदीस शरीफ में लिखा है के हुजूर सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया के
कब्र जहन्नम (marne ke bad kya hoga) की खंदकों में से एक खंदक है यह जन्नत के बागो में से एक बाग है और जब कोई सख्श मर जाता है तो उसको उसका ठिकाना सुबह और शाम दिखाया जाता है जन्नती को जन्नत दिखाई जाती है और जहन्नमि को जहन्नम दिखाई जाती है
दोस्तों रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने हजरतए उमर रजि अल्लाहू अनहु से पूछा के ऐ उमर तुम अपने को मरने पर कैसा देखते हो के लोग तुम्हारे लिए 4 गज लंबी और 1.25 गज चौड़ी कब्र खोदे फिर तुम्हें गुसल देकर कफन पहनाएं और फिर तुम्हें ले जाकर कब्र में रखकर चले आए मुनकीर नकीर बिजली की तरह आंखें चमकाते बादल की तरह गरजते बाल जमीन पर लटकाते और
अपने लंबे-लंबे दांतो से कब्र की मिट्टी हटाते हुए आएं और वह आकर तुम्हें झिंझोडे तो हजरत ए उमर ने अर्ज किया के या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम क्या उस वक्त मेरी अक्ल मेरे साथ होगी आपने फरमाया हां अकल तुम्हारे साथ ही होगी तो हजरत ए उमर ने यह अर्ज किया के तो फिर मुझे कोई खौफ नहीं मैं जवाब दे दूंगा
एक रिवायत है के कब्र में सवालों जवाब सिर्फ उम्मते मोहम्मदी की खुसूसियत है अम्बिया ए सादीकिन् की उम्मत पर अल्लाह ताला की नाफरमानी की वजह से आजाब नाजिल हो जाता था लेकिन रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की आमद के बाद वह अज़ाब को माक़ूफ़ कर दिया गया और उसकी जगह मुनकीर नकीर और सवाल जवाब का सिलसिला जारी किया गया
और जो सख्श मरने के बाद दफन नहीं किया जाता उससे भी सवाल और जवाब किया जाता है दोस्तों मौत दरअसल बंदा ए मोमिन का तोहफा है हुजूरे पाक सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम का इरशाद है के मोमिन का तोहफा मौत है और उसके लिए एक खुशबूदार फूल है सुलेमान बिन अब्दुल मालिक ने अबू आजम रहमतुल्लाह अलेह से पूछा के यह बताइए कि हम मौत से क्यों घबराते हैं
उन्होंने फरमाया इसलिए घबराते हो के तुमने आखिरत को बर्बाद कर दिया और दुनिया को आबाद किया लिहाजा आबादी से वीराने में जाना पसंद नहीं करते सुलेमान ने कहा आप सही फरमाते हैं जिस शख्स को कब्र की जिंदगी पर यकीन हो और अपने नेक अमाल के बदले वहां अच्छे हाल में रहने की उम्मीद हो और यह समझता हो
के इस आलम से दोस्त अहबाब को छोड़कर चला जाऊंगा तो बरजख में रिश्तेदार और जान पहचान वाले मिल जाएंगे तो फिर मौत से क्यों घबराए और इस जिंदगी को बरजख की जिंदगी पर क्यों तरजी दे हदीस में है के दो चीजों को इंसान मकरूह जानता है एक तो मौत है हाला के मौत उसके वास्ते फ़ितने से बेहतर है दूसरी मुफलिसी है क्योंकि मुफलिसी हिसाब देने के लिए आसान है
उलेमाओं ने फरमाया है के जो सख्श मौत को याद करेगा उसको अल्लाह ताला तीन करामत देगा पहली जल्द तोबा दूसरी दिल की कनायत और तीसरी इबादत में दिल जमाई और इत्मीनान और क्यों मौत को भूल जाएगा उस पर तीन बलाए नाजिल होंगी पहली तोबा की उसको तौफीक नही होगी दूसरी थोड़ी चीज उसको अनाअत ना करेगी
और तीसरी इबादत में सुस्ती करेगा किसी सख्श ने हुजूर सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम से सवाल किया के कौन मोमिन सबसे ज्यादा अक्ल मंद है तो आप ने फरमाया के जो मौत को सबसे ज्यादा याद करे और नेक आमाल से मौत के बाद का सामान दुरुस्त करें हजरत अली रजि अल्लाहू अनहु ने फरमाया के सब लोग सो रहे हैं जब मरेंगे तब आंख खुलेगी
सबक
ऐ मुसलमानों मौत और आलमे बरसक की हकीकत तुम पर वाजे हो चुकी है तुम खुद ब खुद सोचो के जो जिंदगी तुम ने गुजार चुकी है उसमें आखिरत के लिए क्या क्या सामान मुहैया कर रखा है तुमने दुनिया को आबाद किया और आखिरत को बर्बाद किया यहां किसी के बारे में यह पता करना मुमकिन नहीं है के वह गुनाहगार है या नेक हो सकता है
हमारी नजर में सिर्फ उसकी अच्छाइयां और बुराइयां हो लेकिन नेकियां भी मौजूद हो जो उसकी बुराइयों को धोने वाली हो और वह हमारी नजर से पोशीदा हो इसलिए हर शख्स को अपने गुरुर गुनाहों और खताओ पर नजर रखना चाहिए अपनी इस्लाह की फिक्र और कोशिश करनी चाहिए इसलिए तुम एक दूसरे की बुराई करने से परहेज किया करो
अपनी जिंदगी को सवारने की जिद्दो जहद किया करो ताकि आखिरत के लिए बेहतरीन सामान जमा कर सको और तुम अल्लाह ताला की खुशनुदगी हासिल कर सको शराब पीना जिनाह खोरी चोरी जुवा झूठ गीबत चुगल खोरी ऐब जुल्म मा बाप की नाफर्मनि और इस किस्म की बहुत से गुनाहों के बारे में तुम पढ़ चुके की हमें किस कदर के सख्त अजाब हमें इसी गुनाह के बदले में मिलता है
तमाम गुनाहों से तोबा करो और नमाज रोजा हज जकात खैरात सदका रहम दिली मोहब्बत और भाईचारा ऐसे तमाम नेक कामों पर दिल से अमल करो तुम्हारे यह सभी आमाल आखिरत में काम आएंगे और तुमको आजाब से महफूज रखेंगे अल्लाह ताला हमे नेक अमल करने की तौफिक अता फरमाए आमीन या रब्बुल आलमीन
Subhan allha
भाई जान उनके बारे में कुछ बताएं जिनकी लाशों को जला दिया जाता है… उनको कैसे सजा दी जाएगी… खाली रूह को तो दर्द का अहसास हो नहीं सकता..वो किसी भी तरह के अहसासात से मखसूस रहती है