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उमर मुख्तार की सच्ची कहानी | omar mukhtar history | in hindi

उमर मुख्तार की सच्ची कहानी | omar mukhtar history | in hindi
omar al mukhtar

दोस्तों आज हम बात करेंगे इतिहास के उस Who is Omar Mukhtar मशहूर योद्धा के बारे में के जिसको अफ्रीका के मशहूर देश लीबिया में तो एक national हीरो के रूप में देखा ही ज्यादा है बल्कि साथ ही साथ दुनिया के अलग-अलग देशों में भी इस इंसान के बहादुरी के किससे सुनाएं जाते हैं जिनका नाम था  उमर अल मुख्तार


उमर मुख्तार की पैदाइश 20 अगस्त 1858 को लीबिया के एक ऐसे घराने में हुई थी जो बहुत ज्यादा गरीब था और बहुत कम उम्र में ही उमर मुख्तार के सर से उनके बाप का साया उठ गया था उमर मुख्तार ने अपनी शुरुआत की पढ़ाई अपने इलाके के मदरसे से ही की थी और इस तरह से उमर मुख्तार ना सिर्फ कुरान के मुकम्मल हाफिज बन गए थे 


बल्कि साथ ही साथ एक omar mukhtar history in hind बहुत बड़े आलीमें दिन भी बन गए थे और इनके इलाके में इनको एक मशहूर इस्लामिक स्कॉलर के तौर पर भी जाना जाता था यह वह दौर था जब लीबिया सल्तनत ए उस्मानिया के अंडर में आया करता था और उस वक्त तक सल्तनत ए उस्मानिया भी बहुत कमजोर हो गया था


आखिरकार 1911 में इटली की फौजो ने सल्तनत ए उस्मानिया के इस इलाके यानी लीबिया पर हमला कर दिया ताकि वह उस्मानियों से यह इलाका छीन कर उस को अपने अंडर में ले सकें सल्तनत ए उस्मानिया को इटली की फौज से सामना करना नामुमकिन था क्योंकि लीबिया में सल्तनत ए उस्मानिया बहुत कमजोर थी 


और पास ही में मौजूद पड़ोसी देश यानी मिस्र पर ब्रिटेन ने पहले से ही कब्जा कर रखा था जाहिर है मिस्र के जरिए से लीबिया का जो रास्ता सल्तनत के उस्मानिया की राजधानी इस्तांबुल तक पहुंचता था वह भी बंद हो चुका था इसीलिए अब इटली की समुंद्री फौज के कमांडर ने यह ऐलान किया के तुर्की की फौज और लीबिया के आम लोग फोरन हथियार डाल दें वरना 


उनके मशहूर शहर जो समुद्री इलाके पर मौजूद हैं उन पर बमबारी की जाएगी तुर्की की फौज और लीबिया के आम लोगों ने हथियार डालने से मना कर दिया जिसकी वजह से अब इटली की फौज भी लगातार 3 दिनों तक इन शहरों पर बमबारी करती रही आखिरकार उस्मानी फौज को पीछे हटना पड़ा और इस तरह इटली की फौज ने लीबिया पर कब्जा कर लिया लेकिन 


लीबिया के आम लोग इटली के इस कब्जे को किसी भी तरह बर्दाश्त करने को तैयार नहीं थे इसीलिए लीबिया के आम लोगों ने इटली के खिलाफ बगावत कर दी और साथ ही साथ उन्होंने इटली के खिलाफ जंग का ऐलान भी कर दिया और इटली के खिलाफ इस जंग में सबसे बड़ा चेहरा जिओ उभर कर आया था वह चेहरा था उमर अल मुख्तार का 


वही उमर अल मुख्तार जो इससे पहले एक आम टीचर ही हुआ करते थे और लोगों को दीन और इस्लाम के बारे Libya’s ‘Desert Lion’ Omar Mukhtar में बताते थे लीबिया के आम लोगों ने अब उमर अल मुख्तार के लीडरशिप में इटली से जंग करने का फैसला कर लिया था लेकिन जाहिर है लीबिया के आम लोग इटली के ताकतवर फौज के सामने बहुत कमजोर थे 


इसीलिए अब उमर अल मुख्तार ने उसी चीज का इस्तेमाल किया जिसमें उमर अल मुख्तार को सबसे ज्यादा काबिल जाना जाता था और वह था गोरिल्ला युद्ध यानी उमर मुख्तार अपनी छोटी-छोटी टुकड़ियों के साथ छुप छप कर घात लगाकर इटली की फौजो पर हमला किया करते थे और हमला करने के बाद फौरन ही रेगिस्तान में गायब हो जाया करते थे 


इटली की ताकतवर फौज लाख कोशिशों के बाद भी इन लोगों को नहीं ढूंढ पाती थी लीबिया के आम लोग और उमर अल मुख्तार अच्छा मौका देख कर ही हमला किया करते थे कभी इटली की किसी चौकी पर हमला किया करते तो कभी इटली की कोई बड़ी फौज की कोई टुकड़ी को अकेला देखकर हमला कर दिया करते थे और कभी कभी इटली की सप्लाई लाइन को काट दिया करते थे 


जिसकी वजह से अब इटली की फौज को उमर अल मुख्तार की काबिलियत का अंदाजा होना शुरू हो गया थ उमर मुख्तार ने 1911 से लेकर 1931 तक 20 साल तक लगातार इटली की फौज के खिलाफ अपनी जंग जारी रखी और इन 20 सालों में इटली की फौज को ऐसा नुकसान पहुंचा कि जिसके बारे में इटली की फौज ने कभी सोचा भी नहीं था 


इटली की फौज उमर अल मुख्तार से इतना ज्यादा परेशान हो गई थी इस बात का अंदाजा आप लोग इस बात से भी लगा सकते हैं के इन 20 सालों में कई बार उमर अल मुख्तार को खरीदने की कोशिश भी की गई थी इसके अलावा एक बार तो इटली उमर अल मुख्तार से समझौता करने को भी तैयार हो गई थी और यह समझौता हुआ भी था पर


बदकिस्मती से यह समझौता ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिक पाया था उमर मुख्तार बहादुर होने के साथ-साथ बहुत ज्यादा होशियार भी थे और इनकी ताकत का यह नतीजा भी था इटली की फौज ने उमर मुख्तार को अपना सबसे बड़ा दुश्मन भी समझना शुरू कर दिया था और इटली के बहुत सारे बड़े-बड़े कमांडर ने उमर अल मुख्तार को रेगिस्तान का शेर कहना शुरू कर दिया था 


आखिरकार उमर अल मुख्तार का यह शानदार सफर उस वक्त खत्म हुआ कि जब इटली की फौज ने उमर अल मुख्तार omar mukhtar death को जख्मी हालत में गिरफ्तार करने मैं कामयाब हो गई थी कुछ लोगों का मानना है के इटली की फौज उमर अल मुख्तार को कुछ मुखबिरो की वजह से पकड़ने में कामयाब हो पाई थी और यह मुखबिर जो लीबिया के ही रहने वाले थे 


यानी इनको हम आसान लफ्जों में गद्दार भी कह सकते हैं फिर घूमर अल मुख्तार को इटली की खोज गिरफ्तार करके अपने कमांडर के पास ले गई कमांडर ने जब उमर अल मुख्तार की बुज़ुर्गी और बुढापे को देखा तो उनसे कहा के मैं चाहता हूं के तुमको ऐसे ही छोड़ दूं लेकिन तुम मुझसे यह वादा करो कि तुम मेरे खिलाफ कभी भी जंग नहीं करोगे 


और लीबिया के दूसरे लोगों को भी हमारे खिलाफ जंग करने से रोकोगे इस पर उमर अल मुख्तार ने यह जवाब दिया कि मैं तुम लोगों से उस वक्त तक जंग करता रहूंगा कि जब तक मैं तुम लोगों को अपने देश से बाहर ना निकाल दूं या तो खुद शहीद ना हो जाऊं 


उसके बाद बूढ़े उमर मुख्तार को जंजीरों से जकड़ लिया गया और उनके पैरों में बेड़ियां डाल दी गई उनके ऊपर जुल्मों सितम करने वाले इटली के सिपाही बाद में यह बताते हैं के जब कभी भी उनके ऊपर जुल्मों सितम किया जाता था और उनकी जबान खुलवाने की कोशिश की जाती थी 


तो वह उस वक्त उनकी आंखों में आंखें डालकर क़ुरआने करीम की तिलावत करने लग जाते थे आखिरकार जब इटली की फौज उनका मुंह खुलवाने में कामयाब ना हो सकी तो उनके ऊपर एक ऐसी अदालत में मुकदमा चलाया गया के जो अदालत इटली ने ही कायम की थी 


और इस अदालत ने उम्र अल मुख्तार को फांसी की सजा सुनाई और आखिरकार 16 सितंबर 1931 को 73 साल की उम्र में लोगों के सामने उमर अल मुख्तार को फांसी पर चढ़ा दिया गया क्योंकि अदालत की तरफ से यह आर्डर दिया गया था के उमर अल मुख्तार को सब लोगों के सामने फांसी दी जाए ताकि कोई भी इंसान या कोई उनका चाहने वाला इटली के खिलाफ जंग करने से बाज आ जाए


आज के दौर मे उमर अल मुख्तार को कैसे याद किया जाता है

लीबिया के कुछ नोटों पर आज भी उमर अल मुख्तार की तस्वीर लगी है और जाहिर सी बात है के उमर अल मुख्तार लीबिया के एक national हीरो हैं और Hollywood film industry ने भी उमर अल मुख्तार की कहानी पर एक मूवी बनाई है जिसका नाम है  lion of the desert यानी रेगिस्तान का शेर

कहानी बहादुर शाह ज़फ़र की

2 thoughts on “उमर मुख्तार की सच्ची कहानी | omar mukhtar history | in hindi”

  1. कायर लोग समझौता करते हैं उमर मुख्तार बहादुर सिपाही था जिसने इटली के सामने घुटने भी नहीं टेके

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