एक हकीम साहब हुआ करते थे जो बोहोत ही नेक दिल और दिनदार थे जिनका दवा खाना एक पुरानी इमारत में था हकीम साहब रोज अपने दवा खाने जाने से पहले अपनी बीवी से कहते की जिस चीज की जरूरत तुम को आज है वो तुम एक कागज पर लिख कर देदो तो उनकी बीवी लिख कर दे देती हकीम साहब अपनी दुकान पर जाकर सबसे पहले
उस पर्चे को खोलते बीवी ने जो कुछ लिखा होता वो उनका हिसाब लगाते और उसका टोटल करते फिर अल्लाह से दुआ करते के या खुदा मैं तेरे हुकुम के तमिल में तेरी इबादत छोड़ कर यहां दुनियां दारी के चक्कर में आ बैठा हूं जैसे ही तू मेरी आज की जरूरत को पूरी कर देगा मैं उसी वक्त यहां से उठ जाऊं गा और फिर यही होता
कभी तो सुबह के 9 बजे या कभी 10 बजे हकीम साहब अपने मरीजों से फारिक होकर अपने घर चले जाते एक दिन हकीम साहब ने अपनी दुकान खोली और रकम का हिसाब लगाने के लिए पर्ची खोली तो वो पर्ची को देखते ही रह गए एक लम्हे के लिए तो उनका दिमाग घूम गया उनको अपनी आंखो पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने आप पर काबू पा लिया
उस पर्चे पर आटे दाल के इलावा उनकी बीवी ने लिखा हुआ था बेटी के दहेज का सामान हकीम साहब कुछ देर सोचते रहे फिर सब चीजों की कीमत लिखने के बाद दहेज के समान के सामने लिख दिया के ये खुदा का काम है और खुदा ही जाने फिर वो अपने काम में लग गए एक दो मरीज आए थे जिनको हकीम साहब ने दवा दे दिया उसी वक्त उनकी दुकान के सामने एक बड़ी सी कार आकर रूकी
लेकिन कार के आने या कार के अंदर कोन है उनको हकीम साहब ने कोई तवज्जो नहीं दी क्यूंकी कई कार वाले भी हकीम साहब के पास अपना इलाज करवाने आते रहते थे ये सब तो रोज का काम था जब सारे मरीज अपनी दवा लेकर चले गए तो कार वाले साहब कार से बाहर निकले हकीम साहब को सलाम किया और जाकर उनकी दुकान में बैठ गए
तो हकीम साहब ने कहा के अगर आप को कोई दवा लेनी है तो यहां स्टूल पर आकर बैठ जाएं ताकी मैं आप को चेक कर सकूं और अगर आप को किसी और मरीज की दवा लेकर जानी है तो आप उस मरीज की हालत बता दें फिर वो साहब बोले के हकीम साहब मुझे लगता है के आप ने मुझे पहचाना नहीं लेकिन आप भला मुझे पहचाना भी कैसे सकते हैं
क्योंकी मैं आप से 15 साल बाद मिल रहा हूं अपनी पहचान के लिए मैं आप को अपनी पुरानी मुलाकात के बारे में बताता हूं जब मैं पहली मर्तबा यहां पर आया था तो मैं यहां खुद नहीं आया था बल्कि मुझे यहां खुदा ने भेजा था क्योंके खुदा को मुझ पर रहम आ गया था और वो मेरा घर आबाद करना चाहता था हुआ कुछ ऐसा था के मैं अपने गांव जा रहा था तभी हमारी गाड़ी
आपकी दुकान के सामने आकर पंचर हो गई ड्राइवर गाड़ी का पहिया लेकर पंचर लगवाने चला गया था तभी आप ने देखा के मैं गर्मी और धूप में गाड़ी के पास खड़ा हुआ हूं फिर आप मेरे पास आए और दुकान की तरफ इसारा कर के कहा के आप अंदर आकर बैठ जाइए तो मैने आप का शुक्रिया अदा किया और कुर्सी पर आकर बैठ गया ड्राइवर ने कुछ ज्यादा ही देर लगा दिया था
एक छोटी सी बच्ची भी मेरे पास खड़ी थी और बार बार कह रही थीं के मुझे भूख लग रही है और आप उस से कह रहे थे के बेटी थोड़ा सब्र करो अभी थोड़ी देर में चलते है मैं ये सोच रहा था के मैं आपके पास इतनी देर से बैठा हूं लगता है मुझे आप से कोई दवा खरीदनी चाहिए ताकि आप मेरे बैठने को जादा मेहसूस न करें मैने कहा के हकीम साहब मैं इंग्लैंड में रहता हूं
वहां गए हुए मुझे 6 साल हो चुके हैं जाने से पहले मेरी सादी हुई थी लेकिन आज तक मेरी कोई औलाद नहीं है मैने हर जगह इलाज करवाया लेकिन अब सिर्फ मायूसी है आप ने कहा के मेरे भाई तोबा अस्तगफार पढ़ो और अपने रब से मायूस ना हो याद रखो उसके खजाने में किसी चीज की कमी नही कर औलाद माल गम खुशी जिंदगी और मौत सब उसी के हाथ में है
किसी डॉक्टर के हाथ में सिफा नही होती और ना किसी दवा में सिफा होती है अगर सिफा मिलती है तो वो खुदा के हुकुम से मिलती है औलाद देनी है तो वही देने वाला है मुझे याद है के आप बाते भी कर रहे थे और 7 पुड़िया भी बनाते जा रहे थे सारी दवाए आप ने दो हिस्सो मे करके उन्हे अलग अलग लिफाफों में रख दीं फिर आप ने मुझ से पूछा के आप का नाम क्या है मैने
कहा मेरा नाम अफजल है आप ने एक लिफाफे पर अफजल लिखा और दूसरे लिफाफे पर बेगम अफजल लिखा फिर दोनो लिफाफे एक थैले में डाल कर दवा खाने का तरीका बताया मैने बेदिली से दवाई लेली क्योंकि मैं तो सिर्फ आप को कुछ रकम देना चाहता था लेकिन जब दवा लेने के बाद मैने पूछा के कितने पैसे देने हैं तो आप ने कहा के बस ठीक है
तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया तो मैने दोबारा पूछा तो आप ने कहा के आज का खाता बंद हो गया तो मैने कहा के मुझे आपकी बात समझ में नहीं आई वहीं पर एक शख्स और मौजूद था तो उसने मुझे बताया के खाता बंद होने का मतलब है के हकीम साहब ने आज के घरेलू खर्चे के लिए जितनी रकम खुदा से मांगी थी वो खुदा ने उन्हें दे दी है ज्यादा रकम वो नही ले सकते
मैं बोहोत हैरान हुआ और दिल ही दिल में सरमिंदा हुआ के मेरे कितने घटिया खयालात थे और ये सादा सा हकीम कितना अजीम इंसान है फिर मैने अपने घर जा कर अपनी बेगम को ये दवाएं दिखाई और उसे सारी बात समझाई तो वो कहने लगी के वो कोई इंसान नही बल्के हमारे लिए तो वो एक फरिश्ता है मुझे यकीन है के उनकी दी हुई दवा हमारे लिए फायदे मंद साबित होगी
हकीम साहब आज मैं 3 बच्चो का बाप हूं खुदा ने आप को हमारी मदद का वसीला बनाया हम हमेशा आप के लिए दुआ करते हैं जब भी मैं अपने गांव छुट्टी पर आया तो हर बार मैं आप की दुकान पर आया लेकिन मुझे हमेशा आप की दुकान बंद ही मिली मैं कल दोपहर को भी आया था लेकिन आप की दुकान कल भी बंद थी वहीं एक आदमी खड़ा था
उसने कहा के अगर आप को हकीम साहब से मिलना है तो आप सुबह 9 बजे आजाए वरना उनसे मिलना मुस्किल है इसलिए मैं आज आप से मिलने सुबह सुबह आया हूं जब 15 साल पहले मैने आप की दुकान में आपकी छोटी बेटी देखी तो मैने बताया था के उसे देख कर मुझे मेरी भांजी याद आरही है मेरी भांजी की सादी इस महीने में ही होनी थी उसकी सादी का सारा खर्च मैने अपने जिम्मे लिया था
मैने उसे पैसे भिजवाए थे के वो अपनी मर्जी की चीजें खरीद ले उसे बुखार था लेकिन उसने किसी को नहीं बताया वो बुखार की दवाइयां खाती रही और घूमती रही फिर एक दिन वो बाजार में बेहोश होकर गिर गई अस्पताल लेजाने के बाद पता चला के उसे बोहोत तेज बुखार है और वो बेहोसी की हालत में ही दुनियां से चली गई
उसके इंतकाल होने के बाद नजाने क्यूं मुझे और मेरी बीवी को आप की बेटी का ख्याल आया हमने ये फैसला किया के हम दहेज का सारा सामान आप की बेटी के लिए पोहछा देंगे और अगर सादी जल्द हो गई तो सारा इंतजाम खुद ही करेंगे और अगर अभी कुछ वक्त हुआ तो नगद रकम पहुंचा देंगे मेरी आप से ये गुजारिश है के आप इन सब के लिए मुझे मना नही करेंगे
ये सुन कर हकीम साहब हैरान और परेशान थे और फिर बोले अफजल साहब आप जो कुछ कह रहें हैं मुझे तो यकीन नहीं हो रहा मैने आज सुबह बीवी के हाथ से लिखी हुई पर्ची देखी तो घर के खाने पीने के समान के साथ बेटी के दहेज का सामान लाने को लिखा हुआ था और आप खुद देख लें के पर्ची पर क्या लिखा हुआ है ये कह कर हकीम साहब ने पर्ची अफजल साहब को थमा दी
अफजल साहब ने जब पर्ची देखी तो वो देख कर हैरान हो गए उस पर लिखा था के ये खुदा का काम है खुदा ही जाने हकीम साहब ने कहा के अफजल साहब यकीन मानिए जो भी मेरी बीवी ने पर्ची में लिखी हो आज तक ऐसा नहीं हुआ के उन सब चीजों को लाने का बंदों बस्त नही हुआ हो आपकी भांजी की वफात का मुझे बोहोत अफसोस है लेकिन मैं उस पाक रब की कुदरत पर हैरान हूं
के जो हमे क्या क्या मोजेजे दिखाता है इस तरह हकीम साहब की बेटी के दहेज के समान इंतेजाम होता है और बड़े धूम धाम से उनकी बेटी की सादी हो जाती है
सबक
दोस्तों ये कहानी तो यहीं पर खत्म हो जाती है मगर इसमें हमारे लिए सबक ये है के अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए और अल्लाह से कभी ना उम्मीद नहीं होना चाहिए क्योंकि अल्लाह फरमाता है के मायूसी गुनाह है तुम मुझ पर यकीन कर के तो देखो
Ek dam sahi baat h sir allah ham sabko tofik de aamin 👌👌
Bahut accha waqia he kya ye saccha waqia he