islamic moral story |
एक औरत कहती है के मेरा आदमी किसी वजह से लंम्बे समय के लिए गायब हो गया उस वक्त मई एक काम उम्र बच्ची की माँ भी थी जब की मेरा बूढ़ा बाप भी मेरे साथ ही रहता था हमारी ग़ुरबत और मुफ्लिशी बोहोत ज्यादा थी और अक्सर हमारे घर में खाने को कुछ भी नहीं होता था
अगर हम दिन में कुछ खा लेते तो रात में हमें भूखा ही सोना पड़ता था सब्र के साथ हम लोग हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करते थे एक रात तो भूख और प्यास ने हमारा ऐसा इम्तिहान लिया के इससे पहले कभी भी नहीं लिया था मेरी बेटी को बोहोत तेज बुखार आगया था बच्ची का बुखार इतनी तेज था के मई और मेरे वालिद अपना भूख प्यास सब भूल गए
ऐसी बेबसी और लाचारी इससे पहले कभी भी नहीं देखि थी बेकरारी जब हद से ज्यादा बढ़ गई तो मुझे अल्लाह ताला की वो कॉल याद आगयी के भला कोन बेक़रार की सदा कबूल करता है जब वो उस्से दुआ करता है तो कोंन उसकी दुआ कबूल करता है जी हाँ कोंन है जो भूख बिमारी दुःख तकलीफ परेशानी मुसीबत को दूर करता है
ये सब सोच कर जब मैं (Beautiful story)सुबह को उठी और वजू किया पानी से पट्टी भीगा कर बच्ची के सर रखी अल्लाह के हुजूर नमाज के लिए खड़ी हो गई दो रकात नमाज पढ़ने के बाद हाथ उठा कर बच्ची के लिए दुआ की और फिर उसके माथे से पट्टी उतार कर दुबारा पानी से भिगाकर रखी और फिर नमाज के लिए खड़ी हो गई
नमाज के बाद एक बार फिर बारगाहे इलाही में हाथ उठाए दुआ के बाद फिर से पानी की पट्टी बदली और दुबारा नमाज के लिए खड़ी हो गई ये अमल मैंने कई बार दोहराया जब मैं ये सब बार बार दोहरा रही थी तो उसी वक्त किसी ने दरवाजा खट खटया मेरे वालिद और मैं हैरॉन हो गए के भला इतनी रात को कौन आ सकता है
मेरे वालिद ने पूछा के दरवाजे पर कौन है तो बाहर से जवाब आया के मैं डॉक्टर हूँ ये सुन कर मैं और मेरे वालिद एक दूसरे को हैरान हो कर देख रहे थे और सोच रहे थे के भला इसको किसने बुला लिया फिर मेरे वालिद ने जा कर दरवाजा खोला डॉक्टर ने आते ही पूछा के मरीज किधर है हमने सादगी से बच्चे की तरफ इसारा कर दिया
डॉक्टर ने बच्ची को चेक किया फिर कागज पर दवा लिख कर मेरे हाथ में रखते हुवे बोला लाइए मेरी फिस लाइए मैं अब चलता हूँ मैंने धीरे से डॉक्टर से कहा के डॉक्टर साहब मेरे पास आपको देने के लिए पैसे नहीं है बल्कि हमारे घर में तो कई दिनों से खाना भी नहीं है मेरा ये जवाब सुन्ते ही डॉक्टर गुस्से से बोला के
अगर तुम्हारे पास मुझे देने के लिए पैसे नहीं है तो मुझे आधी रात को फोन करके क्यूँ बुलाया मेरी नींद क्यूँ ख़राब की तुम लोगो ने डॉक्टर के मुँह से टेलीफोन की बात सुन कर मुझे लगा के डॉक्टर सायद गलती से हमारे घर में आगया है मैंने हिम्मत करके डॉक्टर को जवाब दिया के डॉक्टर साहब हमने आप को फोन करके नहीं बुलाया है बल्कि हमारे पास तो टेलीफोन ही नहीं है
ये सुन कर डॉक्टर ने मुझ से पूछा के अच्छा क्या ये मंसूर का घर नहीं है तो मैंने जवाब दिया नहीं डॉक्टर साहब मंसूर का घर तो हमारे बराबर मे है ये सुन कर डॉक्टर थोड़ा खामोश हुवा फिर हमारे घर से निकल कर हमारे पडोसी के घर चलागया और हम शर्मिंदगी से खामोश बैठे रहे थोड़ी देर ही गुजरी थी के वो डॉक्टर एक बार फिर हमारे घर में आगया
आँखों में आंसू और धीमी आवाज मे बोला के अल्लाह की कसम मैं तुम्हारे घर से उस वक्त तक वापस नहीं जाऊँगा जब तक तुम्हारा पूरा किस्सा न सुनलूँ तो मैंने उस डॉक्टर को अपना पूरा किस्सा सूना डाला के किस तरह मैं बच्ची के सर पर पानी की पट्टियाँ रख रही थी और अल्लाह से दुआ मांग रही थी डॉक्टर जल्दी से उठा और बहार चला गया
और हमारे लिए रात का खाना बच्ची की दवाएं और कुछ घर की जरूरतों का सामान लेकर आगया और उसने हमें ये कहा के उसकी तरफ से हमें हर महीने कुछ पैसे उसको उस वक्त तक मिलते रहेंगे जब तक अल्लाह चाहेगा
सबक
जी हाँ ये अल्लाह पर भरोसे की कहानी है मेरे दोस्तों चाहे कैसे भी हालात हों हमें अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए यक़ीनन जो लोग अल्लाह पर भरोसा रखते है अल्लाह पाख उनकी मदद जरूर करता है अल्लाह हम सब को समझ ने और हर हाल में अल्लाह पर भरोसा रखने की तौफीक अता फरमाए आमीन
Very nice story
ए कहानी सुनकर मुझे रोना आगया मे हिन्दु हु पर मे अल्लाह के सिवा किसीको नही मानती