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मजनू की मोहब्बत का सच्चा वाक्या | Majnu Ki Mohabbat Real Story In हिंदी

मजनू की मोहब्बत का सच्चा वाक्या | Majnu Ki Mohabbat Real Story In हिंदी
मजनू की मोहब्बत का सच्चा वाक्या

एक बार मजनूँ(mr majnu)को किसी ने देखा कि एक कुत्ते के पाँव चूम रहा है। उसने पूछा ऐ मजनूँ ! तुम ऐसा क्यों कर रहे हो (mr majnu) ने कहा ये कुत्ता लैला (laila) की गली से होकर आया है मैं इसलिए इसके पाँव चूम रहा हूँ। 



ऐसे मस्त और अक्ल में ख़राबी आए हुए इंसान को मजनूँ पागल न कहा जाए तो क्या कहा जाए। किसी फारसी शायर ने यही बात शे’र में कही है

मैं लैला(laila)के घर की दीवारों का तवाफ करता हूँ। कभी ये दीवार चूमता हूँ कभी वो दीवार चूमता हूँ। और दरअसल इन घरों की मुहब्बत मेरे दिल पर नहीं छा गई बल्कि उसकी मोहब्बत जो इन घरों में रहने वाली है

एक दफा शहर के हाकिम ने सोचा कि लैला laila को देखना चाहिए कि मजनू और उसकी मुहब्बत के अफसाने हर एक की ज़बान पर हैं। जब सिपाहियों ने लैला को पेश किया तो हाकिम हैरान रह गया कि एक आम सी लड़की थी न शक्ल न रंग न रूप था उसने लैला से कहा,तू दूसरी हसीनाओं से ज़्यादा बेहतर नहीं है laila कहने लगी ख़ामोश रह क्योंकि तू मजनूँ नहीं है।”

लैला को देखिए मगर मजनूँ की नजर से

एक बादशाह ने laila के बारे में सुना कि मजनूँ उसकी मुहब्बत में दीवाना बन चुका है। उसके दिल में ख़्याल पैदा हुआ कि मैं लैला को देखूं तो सही। जब उसने देखा तो उसका रंग काला था और शक्त भद्दी थी। वो इतनी काली थी कि उसके माँ-बाप ने लैल (रात) जैसी (काली) होने की वजह से उसको लैला (काली) का नाम दिया। 

लैला के बारे में बादशाह का ख़्याल था कि वो बड़ी नाज़नीन और परी जैसे चेहरे की होगी। मगर जब उसने laila को देखा तो उससे कहा तू दूसरी औरतों से ज़्यादा खूबसूरत नहीं है जब बादशाह ने ये कहा तो लैला ने जवाब में कहा ख़ामोश हो जा तेरे पास mr majnu की नजर नहीं अगर मजनूँ की नजर होती तो तुझे दुनिया में मेरे जैसा खूबसूरत कोई नज़र न आता। 



मौलाना रोमी (रह०) फरमाते हैं कि एक बार उसको किसी ने देखा कि रेत की ढेर पर बैठे कुछ लिख रहा है। इस पर उन्होंने कहा जंगल में एक आदमी ने एक बार मजनूँ को देखा कि गम के बयाबान में अकेला बैठा हुआ था। रेत को उसने कागज़ बनाया हुआ था और अपनी उंगली को कलम और किसी को ख़त लिख रहा था। 

उसने पूछा कि majnu शैदा तू क्या लिख रहा है तू किसके नाम ये ख़त लिख रहा है? मजनूँ ने कहा laila के नाम की मश्क कर रहा हूँ। उसके नाम को लिखकर अपने दिल को तसल्ली दे रहा हूँ।

नमाज़ी को मजनूँ की तंबीह

एक दफा एक आदमी नमाज़ पढ़ रहा था mr majnu लैला की मुहब्बत में गर्क था। वह इसी मदहोशी में उस नमाज़ी के सामने से गुज़र गया। उस नमाज़ी ने नमाज़ पूरी करके majnu को पकड़ लिया। कहने लगा तूने मेरी नमाज़ ख़राब कर दी कि मेरे सामने से गुज़र गया, तुझे इतना नज़र नहीं आया। 

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उसने कहा कि खुदा के बंदे मैं मख़्लूक की मुहब्बत में गिरफ्तार हूँ मगर वो मुहब्बत इतनी हावी हुई कि मुझे पता न चला कि मैं किसी के सामने से गुज़र रहा हूँ और तू ख़ालिक की मुहब्बत में गिरफ्तार है कि नमाज़ पढ़ रहा था तुझे अपने सामने से जाने वालों का पता चल रहा था।



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